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जीवन के लिए आवश्यक है जल (पानी) .(1 – 6)

Jal hi Jeevan Hai
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सामुदायिक जल (पानी) सुरक्षा

जल जीवन के लिए जरूरी है . लोगों के लिए पेड़ पौधों और जानवरों के पालन पोषण के लिए पानी बहुत ही जरूरी है.
लेकिन दुर्भाग्य कि बात है कि संसार के कई हिस्सों में लोगो को सेहतमंद रहने के लिए जितना पानी जरूरी है वह
उन्हें मिल नहीं पाता.बहुत बार लोगों को पानी के लिए मीलों चलना पड़ता है और तब भी उन्हें जो पानी मिलता है
वह पीने के लिए सुरक्षित नहीं होता.
यदि लोगों को उनकी रोजमर्रा जरूरतों के लिए पानी नहीं मिलता तो उनका जीवन कठिन हो जाता है और उन्हें
तरह तरह की खतरनाक बीमारियों का सामना करना पड़ता है.और अगर लोगों को जो पानी मिलता है वो अगर साफ़
नहीं है उसमे कीड़े मकोड़े या फिर खतरनाक रासायनिक तत्व मिले हुए हैं तो ये भी रोगों को बढ़ावा दे सकते हैं.
यदि समुदाय के पास ऐसे पानी कि उपलब्धता है जिसे सभी आसनी से पा सकते हो या जो सर्व सुलभ हो साथ ही सुरक्षित भी हो तो समुदाय
के हर एक सदस्य का स्वास्थ्य उनकी सेहत जरूर ही अच्ची होगी.साथ ही अगर औरतो को रोज पानी धोने के काम और उसे साफ करने के
काम से छुट्टी मिल सके तो औरतो की सेहत और पुरे परिवार की सेहत सुधरेगी.बच्चे स्वस्थ हो कर बडे होंगे और वे डायरिया या अतिसार जैसे
रोग जो प्रदूषित पानी से पैदा होते है उनसे बचे रहेगे.सबसे अच्ची बात यह होगी की औरते और लडकिया प्रभावी रूप से समुदाय के और कामो
में हिस्सा ले सकेंगी और स्कूल भी जा सकेंगी.वस्तुतः ये लेख उन सभी विधियो पर रोशनी डालता है जो पांनी भरने , रखने और उसके संरक्षण के लिये अपनायी जाती है . इसमे
वे विधिया भी शामिल है जिनसे पांनी को पीने योग्य साफ और सुरक्षित बनाया जाता है.ये लेख जल सुरक्षा (साफ और सुरक्षित
पांनी की निरंतर उपलब्धता) के लिये समुदाय में जागरूकता लाने और उन्हे पांनी से जुडी बहुत सी समस्या के प्रति शिक्षित भी
करता है . यही नही यह समुदाय को परिवर्तन लाने के लिये संगठित करने का रास्ता भी दिखाता है.
इस लेख में प्रस्तुत समाधानो और विकल्पो को किसी भी छोटे जल तंत्र ( पानी की प्रणाली) में लागू किया जा सकता है.यदि लोगो
में पांनी भरने , रखने और उसके संरक्षण के तरीको पर बहस की शुरुआत हो जाती है तो इससे पांनी से जुडी कठिन परेशानियो
को भी दूर किया जा सकता है.

जल सुरक्षा एक अधिकार है.

सभी जीवित प्राणियो के जीवन और उत्तम स्वास्थ्य के लिये , उन्हे पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ और सुरक्षित जल मिलना जरुरी है या दूसरे शब्दो में कहे तो उनके लिये जल सुरक्षा आवश्यक है . अंतरराष्ट्रीय कानून इसे मानव अधिकार की संज्ञा देता है.
पानी प्रकृति द्वारा दिया गया उपहार है लेकिन पानी देने के लिये प्रकृति की भी अपनी सीमाये है . कई स्थानो पर पीने के पानी की उपब्धता खतरनाक रूप से कम होती जा रही है . जहा पर जमीन को ढक दिया गया है ( घरो , पक्के रास्तो या अन्य किसी भी ढंग से) या फिर पेडो को काट दिया गया है ऐसे स्थानो पर जहां पहले वर्षा का जल जमीन द्वारा सोख लिया जाता था और भूमिगत जल भंडार में मिल जाता था वह समुद्र में जा कर खारे पांनी का हिस्सा बन जाता है . वर्षा का जो पांनी बचा रहता है वह इतना अधिक प्रदूषित हो जाता है कि मानव के उपयोग लायक नही रह जाता. जल के अपने मानव अधिकार की सुरक्षा के लिये यह समझना जरुरी है कि पांनी कैसे दुर्लभ बन जाता है और कैसे उसमे प्रदूषक तत्व मिल जाते है. ऐसे लोग जो दुर्लभ हो रहे जल के संरक्षण के लिये मिल जुल कर काम कर रहे है और जो पानी का इस्तेमाल कैसे किया जाये इसका निर्णय सामूहिक सहभागिता के साथ करते है वे ही समुदाय कि जल सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकते है.सामान्यतया लोग पीने के सुरक्षित पांनी के लिये उचित मूल्य देने को तैयार रहते है . लेकिन बहुत से स्थानो पर लोगो के पीने का पांनी उद्योगो या खेती के उपयोग में ले लिया जाता है या फिर ऐसी कीमतो पर बेचा जाता जो लोगो की क्रय शक्ति से उपर होती है. पांनी का प्रबंध चाहे सरकार द्वारा हो , निजी कम्पनियोद्वारा हो या समूहो की भागीदारी द्वारा हो जरूरतमंदो (पानी के लिये ) को यह अधिकार होना ही चाहिये की वे पानी के मूल्य निर्धारण , वितरण और उपयोग के संभंध में अपना मत व्यक्त कर सके .

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